नेपाल-भारत खुला सीमा संवाद समूह द्वारा ‘बाढ विपद् आर और पार’ विषय पर संवाद कार्यक्रम

जनकपुरधाम. 5अक्टुबर

जनकपुर में नेपाल-भारत खुला सीमा संवाद समूह   द्वारा   ‘बाढ विपद् आर और पार’  विषय पर आयोजित बातचीत में वक्ताओं ने कहा कि प्रकृति के विनाश के कारण आपदा का खतरा बढ़ गया है.

समूह के केंद्रीय अध्यक्ष डाॅ. राजीव झा ने कहा कि उच्च दबाव से नेपाल और भारत दोनों को नुकसान हो रहा है क्योंकि दोहन के कारण पानी पहाड़ों में नहीं रुकता है.

उन्होंने कहा कि नेपाल सरकार को बरसात के मौसम से पहले भारत के साथ समन्वय कर बाढ़ नियंत्रण के लिए संयुक्त प्रयास करना चाहिए.

नेपाली कांग्रेस मधेश प्रदेश संसदीय दल के नेता कृष्णा यादव ने कहा कि नेपाल में हर आपदा में भारत सरकार ही सबसे पहले मददगार होती है. हालांकि, उन्होंने टिप्पणी की कि नेपाली सरकार के कुछ लोग भारत का अपमान कर बड़ा नेता बनने पर तुले हुए हैं.

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माले) के नेता भूषण सिंह ने कहा कि जयनगर की ओर नदी में उचित स्तर पर बालू खनन नहीं होने के कारण जलस्तर बढ़ गया है.

बाढ़ विशेषज्ञ रत्नेश्वर लाल कर्ण ने इस बात पर जोर दिया कि नेपाल के सात में से छह प्रदेश बाढ़ से प्रभावित हैं और बाढ़ का समाधान खोजा जाना चाहिए।

भारतीय पत्रकार ललित झा ने कहा कि समस्या हमारी है तो समाधान भी हमें ही खोजना चाहिए. उन्होंने पश्चिमी विकास मॉडल में पहाड़ों को काटकर सड़कें बनाने और चूरे के दोहन को बाढ़ का मुख्य कारण माना।

नागरिक समाज के नेता मुरली मनोहर मिश्र ने कहा कि प्राकृतिक संसाधनों के दोहन के कारण ऐसी आपदाएँ हुई हैं।

उद्योग वाणिज्य संघका निवर्तमान अध्यक्ष जितेन्द्र महासेठ का तर्क है कि बार-बार सरकार बदलने के कारण प्रभावी प्रबंधन का अभाव है.

पत्रकार श्यामसुंदर शशि ने कहा कि नदी नालों का उचित प्रबंधन न होना और अतिक्रमण ही बाढ़ और भूस्खलन का मुख्य कारण है.

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