का षष्ठीदेवी ?
*का षष्ठीदेवी ?*
‘अहं ब्रह्मणो मानसपुत्री षष्ठीदेवी अस्मि !
‘अहं प्रियव्रत पुत्रस्य जीवन दात्री अस्मी!
‘अहं स्वामी कार्तिकेयस्य भार्या देवसेना अस्मि !
अहं विश्वस्य समस्तबालानां रक्षिका अस्मि, एवम् अपुत्रेभ्यः पुत्रं ददाम्यहम्’ इति
नवरात्रे नवदुर्गासु अन्यतमा देवी ‘कात्यायनी’ या षष्ठीतिथौ पूज्यते, सा ही षष्ठीदेवी-नाम्ना ख्यातास्ति
भगवतः सूर्यस्य अस्मिन् पवित्रव्रते शक्तिः, ब्रह्म चेति द्वयोरपि उपासनायाः फलं सहैव प्राप्यते
तस्माद्धि अस्मिन् लोके इदं पर्व ‘सूर्यषष्ठी’ इति नाम्ना प्रसिद्धम्
भगवान् सूर्यः प्रत्यक्षं देवोऽस्ति
पुत्रैषणा, वित्तैषणा, लोकैषणा इत्यादि-समस्ताभीष्टान् भक्तेभ्यः प्रददाति
परब्रह्मणः शक्तिस्वरूपा समस्तजगतो माता प्रकृतिस्वरूपा षष्ठीदेवी सर्वेषां मङ्गलं कुर्यात् इति
ॐ षष्ठीदेव्यै नमः !!
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*आज सूर्य षष्ठी व्रत, डाला छठ के दिन निर्जला उपवास रह कर अपराह्न 3:30 से 4:30 तक माता षष्ठी और भगवान भास्कर का पूजन कर, श्री गणेश अथर्वशीर्ष, आदित्य हृदय स्तोत्र, षष्ठी देवी स्तोत्र के पाठ करें।
और
*पुनः सायं 4:45 के बाद से सायं अर्घ्य देकर श्री कृष्ण स्तोत्र, अपराजिता स्तोत्र, का पाठ सर्व सिद्धि दायक अखण्ड सुख सौभाग्य दायक एवं परम कल्याणकारी होगा।*
*जबकि आज रात में माता कोशिकी (कोशी) की पूजन कर रात्रि जागरण पूर्वक रात्रि शेष में विशेष पूजन, माता षष्ठी और भगवान भास्कर का पूजन कर, श्री गणेश अथर्वशीर्ष, आदित्य हृदय स्तोत्र, षष्ठी देवी स्तोत्र के पाठ कर
*पुनः प्रातः 6:15 के बाद प्रातः 6:50 तक द्वितीय सूर्यघ्य दे देना है।*
जो इस वर्ष के छठ व्रत के लिए अति आवश्यक एवं शास्त्र विहित उत्तम फलदाई होगा।*
इस प्रकार संपूर्ण व्रत पूजन को पूर्ण कर यथा शक्ति अन्न, वस्त्र, फल, मिठाई और द्रव्य का दान कर व्रत का पारणा करें।*
*!!बिहार के सबसे बड़े पर्व छठ को लेकर कई धार्मिक मान्यताएं!!*
एक मान्यता यह भी है कि प्रभु श्रीराम की पत्नी माता सीता ने सर्वप्रथम छठ पूजन किया था। जिसके बाद महापर्व की शुरूआत हुई। छठ को बिहार का महापर्व माना जाता है। यह पर्व बिहार के साथ देश के अन्य राज्यों में भी बड़े धूम-धाम के साथ मनाया जाता है। बिहार के मुंगेर में छठ पर्व का विशेष महत्व है। छठ पर्व से जुड़ी कई अनुश्रुतियां हैं, लेकिन धार्मिक मान्यता के अनुसार माता सीता ने सर्वप्रथम पहला छठ पूजन बिहार के मुंगेर में गंगा तट पर संपन्न किया था। इसके बाद से महापर्व की शुरुआत हुई। इसके प्रमाण-स्वरूप आज भी माता सीता के चरण चिह्न इस स्थान पर मौजूद हैं।
हमारे धर्म शास्त्रों में विभिन्न कवियों के द्वारा लिखित बहुत प्रकार के रामायण हैं।
उसी में शौनक रामायण के अनुसार, ऐतिहासिक नगरी मुद्गल जो बाद में मुंगेर हो गया, में आज भी सीता मां के चरण चिह्न है, वहां गंगा किनारे स्थित मुद्गल ऋषि के आश्रम में रह कर उन्होंने 6 दिनों तक छठ पूजा की थी। श्री राम जब 14 वर्ष वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे, रावण वध के पाप से मुक्त होने के लिए ऋषि-मुनियों के आदेश पर राजसूर्य यज्ञ करने का फैसला लिया। इसके लिए मुग्दल ऋषि को आमंत्रण दिया गया था, लेकिन मुग्दल ऋषि ने भगवान राम एवं सीता को अपने ही आश्रम में आने का आदेश दिया। ऋषि की आज्ञा पर भगवान राम एवं सीता स्वयं यहां आए और उन्हें इसकी पूजा के बारे में बताया गया।
मुग्दल ऋषि ने मां सीता को गंगा छिड़क कर पवित्र किया एवं कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को सूर्यदेव की उपासना करने का आदेश दिया। यहीं रह कर माता सीता ने 6 दिनों तक सूर्यदेव भगवान की पूजा की थी। ऐसी मान्यता है कि माता सीता ने जहां छठ पूजा संपन्न की थी, वहां आज भी उनके पदचिह्न मौजूद हैं। कालांतर में जाफर नगर दियारा क्षेत्र के लोगों ने वहां पर मंदिर का निर्माण करा दिया। यह सीताचरण मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है। यह मंदिर हर वर्ष गंगा की बाढ़ में डूबता है। महीनों तक सीता के पदचिह्न वाला पत्थर गंगा के पानी में डूबा रहता है।
इसके बावजूद उनके पदचिह्न धूमिल नहीं पड़े हैं। श्रद्धालुओं की इस मंदिर एवं माता सीता के पदचिह्न पर गहरी आस्था है। ग्रामीण मालती देवी का कहना है कि दूसरे प्रदेशों से भी लोग पूरे साल यहां मत्था टेकने आते हैं। यहां आने वाले श्रद्धालुओं की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। मंदिर के पुरोहित के अनुसार सीताचरण मंदिर आने वाला कोई भी श्रद्धालु खाली हाथ नहीं लौटता।
भगवान भास्कर एवं माता देवसेना कौशिकी षष्ठी देवी अपने सभी भक्तों के सभी रोग शोक संकट दूर कर उत्तम आयु आरोग्यता, अखंड सुख सौभाग्य एवं उत्तम संतान सुख प्रदान करें।
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*!!????शास्त्र संग्रह????!!*
*आपका साथ, आपका विकाश, एवं आपके कुशलता के कामना में , सदैव तत्पर आपका…*
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*हरि ॐ गुरुदेव..!*
*ज्योतिषाचार्य*
*आचार्य राधाकान्त शास्त्री*
*????????कार्यालय????????*
*????!!शुभम बिहार यज्ञ ज्योतिष आश्रम!!????*
*राजिस्टार कालोनी, पश्चिम करगहिया रोड, वार्ड:- 2, नजदीक कालीबाग OP थाना, बेतिया पश्चिम चम्पारण, बिहार, 845449,*
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*सहायक शिक्षक:- राजकीयकृत युगल प्रसाद +2 उच्चतर माध्यमिक विद्यालय भैसही, चनपटिया,बेतिया बिहार*
*वार्तालाप:-*,
*व्हाट्सएप संपर्क एवं पे फोन:- 9431093636*
एवं
*व्हाट्सएप संपर्क एवं पेटिएम:- 9934428775*
*वार्तालाप का समय:-*
*प्रातः 5 बजे से 8 बजे तक एवं दोपहर 3 बजे से रात्रि 10 बजे तक!*
अपने प्रश्न कभी भी भेज सकते है, समयानुसार उत्तर अवश्य मिलेगा।
*????(अहर्निशं सेवा महे)????*
*!!भवेत् सर्वेषां शुभ मंगलम्!!*