“मानसिक स्वास्थ्य – हमारी प्राथमिकता” : नवनीत कौर
नवनीत कौर, दिल्ली ।मानसिक स्वास्थ्य को लेकर लोगों को शिक्षित और जागरूक करने के साथ सामाजिक कलंक की भावना दूर करने के लिए हर साल 10 अक्तूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है। विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस का इस साल का थीम है- “कार्यस्थल पर मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता दिया जाना जरूरी है”।
एक संतोषजनक नौकरी आपके मानसिक स्वास्थ्य और खुशहाली के लिए अच्छी हो सकती है। लेकिन कई बार कार्यस्थल हमारे लिए मानसिक तनाव और चिंता का कारण भी बन जाता है। कर्मचारी अपना ज़्यादातर समय कार्यस्थल में ही बिताते हैं। ऐसा देखा जा रहा है कि लंबे या अनियमित समय पर काम करने और कर्मचारियों पर अत्यधिक काम का भार होने जैसी स्थितियां मानसिक स्वास्थ्य की समस्याओं को बढ़ा रही हैं। कार्य-जीवन संतुलन की कमी और कार्यस्थल संबंधों में परेशानियाँ भी मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का कारण है। हर किसी को एक मानसिक रूप से अनुकूल कार्यस्थल मिलना चाहिए, जहाँ वे कामयाब हो सकें। इसे बनाने में नियोक्ता और कर्मचारी दोनों की भूमिका होती है।
सभी कर्मचारियों को एक सुरक्षित, सहायक, स्वस्थ और समझदार कार्य वातावरण मिले, इस बात का ध्यान रखना नियोक्ता की ज़िम्मेदारी होती है। नियोक्ता को एक ऐसी संस्कृति का निर्माण करना चाहिए, जहाँ मानसिक स्वास्थ्य को महत्व दिया जाता हो, और कर्मचारी मदद लेने में सुरक्षित महसूस करें। एक नियोक्ता के रूप में, स्वास्थ्य को प्राथमिकता देना और कर्मचारियों को यह याद दिलाना महत्वपूर्ण है कि अच्छी, स्वस्थ आदतें अपनाने से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों में सुधार हो सकता है। मानसिक स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं, तनाव प्रबंधन और आत्म-देखभाल के बारे में खुलकर बात करने से कर्मचारियों को अपनी चिंताओं और जरूरतों को व्यक्त करने में मदद मिल सकती है। नियोक्ता को एक ऐसा कार्य वातावरण बनाना चाहिए – जिसमें भेदभाव और असमानता, अत्यधिक कार्यभार, नौकरी पर कम नियंत्रण और नौकरी की असुरक्षा शामिल नहीं हो। समय – समय पर कार्यस्थल में कुछ मानसिक स्वास्थ्य गतिविधियाँ करवानी चाहिए, जिससे सहायक और स्वस्थ वातावरण को बढ़ावा मिले। कार्य प्रदर्शन और उत्पादकता में सुधार लाने के लिए या उसे और बेहतर करने के लिए सकारात्मक कार्यस्थल का निर्माण करना बहुत ज़रूरी है।
कर्मचारियों को भी अपनी मानसिक स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए सकारात्मक कदम उठाने चाहिए। तनाव से दूर रहने के लिए वह ध्यान, माइंडफुलनेस या योग की सहायता ले सकते हैं। उन्हें नियमित व्यायाम ज़रूर करना चाहिए। अच्छी सेहत के लिए संतुलित व पौष्टिक आहार का सेवन करना चाहिए और पर्याप्त नींद लेनी चाहिए। अपने सहकर्मियों और अपने पर्यवेक्षक के साथ सकारात्मक रिश्ते बनाने चाहिए। उन्हें अत्यधिक तनाव के संकेतों और लक्षणों को पहचानना होगा ताकि वह ठीक समय पर किसी मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े पेशेवर की सहायता ले सकें।
याद रखिए – उत्तम स्वास्थ्य ही सफलता की कुंजी है।