भारतीय सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी अगले सप्ताह नेपाल की यात्रा पर
भारतीय सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी अगले सप्ताह नेपाल की यात्रा पर जाने वाले हैं। इस यात्रा में दोनों देशों के बीच सैन्य संबंधों को बढ़ाने पर फोकस किया जाएगा। जनरल द्विवेदी की नेपाल यात्रा में गोरखाओं की भर्ती को लेकर चर्चा होने की उम्मीद है, इसलिए यह यात्रा और भी खास हो जाती है। नेपाल सरकार ने अग्निपथ योजना के तहत भारतीय सेना में गोरखा सैनिकों को भेजने से इनकार कर दिया है। भारतीय सेना में 43 गोरखा बटालियन हैं, जो कई गोरखा रेजिमेंटों में सेवा दे रही हैं। हर बटालियन में नेपाली गोरखा लगभग 60 प्रतिशत हैं।
भारत सरकार ने पहले ही नेपाल से कहा है कि वह गोरखाओं को अग्निवीर के तहत चार साल से ज्यादा का कार्यकाल नहीं दे सकता। नेपाल इससे सहमत नहीं है और उसने गोरखाओं को भर्ती में जाने से रोक दिया है। भारत में कई लोग गोरखाओं को छूट देने के पक्ष में हैं। मेजर जनरल अशोक मेहता (रिटायर्ड) ने ट्रिब्यून इंडिया से बात करे हुए कहा, ‘यह एक रणनीतिक भर्ती है। अगर भर्ती की पुरानी शर्तें नहीं रखी जा सकतीं, तो नेपाल के साथ रिश्ते को बरकरार रखने के लिए गोरखा सैनिकों को कुछ रियायत दी जा सकती है।’
जनरल द्विवेदी की यात्रा का फोकस दोनों में सेनाओं में चल रहे रक्षा आधुनिकीकरण पर केंद्रित रहने की उम्मीद है। भारत नेपाल की सेना के आधुनिकीकरण में सहायता कर रहा है और उसने काठमांडू को छोटे हथियार, वाहन, उन्नत प्रशिक्षण सिमुलेटर समेत सैन्य हार्डवेयर की आपूर्ति की है ।
इसके साथ ही दोनों देश संस्थानों में सैन्य कर्मियों को अध्ययन कराते हैं। इस साल 300 से अधिक नेपाली सेना के 300 से अधिक कर्मियों ने भारत में आतंकवाद विरोधी, नेतृत्व विकास और शांति स्थापना जैसे विशेष क्षेत्रों में प्रशिक्षण प्राप्त किया। दोनों देशों के बीच सैन्य संबंधों का एक सदी से भी अधिक समय का इतिहास है। जनरल द्विवेदी के श्री मुक्तिनाथ मंदिर जाने की भी संभावना है।