कोप–२९– विकसित राष्ट्र विकासशील राष्ट्रों को देंगे वार्षिक ३०० बिलियन सहयोग रकम
काठमांडू, मंसिर ९ –अजरबैजान के बाकू शहर में हुए कोप–२९ सम्मेलन में धनी राष्ट्रों ने जलवायु परिवर्तन से जुझने वाले गरीब देशों को सहयोग के लिए एक कोष की स्थापना करने की सहमति की है । जिसके तहत विकसित राष्ट्र विकासशील राष्ट्रों को वार्षिक ३०० बिलियन सहयोग रकम देंगे । इस पर विकसित राष्ट्रों की सहमति हुई है ।
ऐसा अपेक्षा किया गया है कि कोप–२९ के सम्मेलन में हुई इस सहमति से गरीब देशों को जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से जुझने में मदद मिलेगी । पर्याप्त गृहकार्य और कोष के उचित परिचालन होने से नेपाल जैसे अन्य विकासशील और जलवायु परिवर्तन से तीव्र असर को भोग रहे देश इस कोष से लाभ ले सकते हैं ।
इससे पहले विकसित देशों ने २०२० तक वार्षिक एक अरब डॉलर जलवायु कोष उपलब्ध कराने की प्रतिबद्धता जताई थी । यद्यपि उक्त कोष के रकम उचित परिचालन नहीं होने की आलोचना भी होती आई थी । लेकिन इस प्रतिबद्धता को दो वर्ष देर से ही सही अर्थात् सन् २०२२ में पूरा कर दिया गया था । ये समझौता २०२५ में समाप्त होगा ।
इसके साथ ही बाकू सम्मेलन में कार्बन क्रेडिट खरीद–बिक्री करने के लिए विश्वव्यापी बाजार के नियमों को लेकर भी सहमति हुई है । इससे वन पुनर्स्थापना से लेकर साफ ऊर्जा प्रविधि प्रयोग तक, जलवायु परिवर्तन के साथ जुझने के लिए नये परियोजनाओं और अरबों डॉलर लगानी जुटा सकने की अपेक्षा की है । इस सहमति अनुसार विश्वव्यापी तापमान वृद्धि को कम करने में मदद होगी तगथा नई परियोजनाओं में अरबों डॉलर परिचालन किए जाएंगे ।
नेपाल में अभी कार्बन गैस केबल ०.०२७ प्रतिशत उत्सर्जन हो रहा है । यदि इसे विश्वव्यापी रुप में देखे तो इसका योगदान बहुत ही कम है । लेकिन जहाँ तक जलवायु परिवर्तन से जो संकट पड़ रहा है उसे लेकर जोखिम मापन करने वाले जर्मन वाचको ग्लोबल क्लाइमेट रिस्क इन्डेक्स ने बताया कि सन् २०२१ में किए गए एक अध्ययन में यह बताया गया है कि नेपाल को जलवायु जोखिम की सूचकांक में विश्व के १०वें नम्बर में रखा गया है । यानी जोखिमयुक्त राष्ट्र के रुप में नेपाल के नाम का उल्लेख किया गया है ।