प्रचण्ड नेतृत्व में सुशासन का आन्दोलन ‘सौ चुहा खा के बिल्ली हज करने चली’ कथन जैसा हैः डा. भट्टराई
काठमांडू, २५ अक्टूबर । नेपाल समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष तथा पूर्व प्रधानमन्त्री डा. बाबुराम भट्टराई ने कहा है कि नेकपा माओवादी केन्द्र के अध्यक्ष तथा पूर्व प्रधानमन्त्री पुष्पकमल दाहाल ‘प्रचण्ड’ के नेतृत्व में भ्रष्टाचार विरुद्ध सुशासन का आन्दोलन सम्भव नहीं है । सत्ता से बाहर होने के बाद माओवादी केन्द्र सुशासन की नारें लगा रही है और सरकार विरुद्ध आन्दोलन कर रही है, इसीके प्रति लक्षित करते हुए डा. भट्टराई ने सामाजिक संजाल फेशबुक मार्फत ऐसा कहा है ।
बिहिबार रात में फेशबुक पर लिखते हुए डा. भट्टराई ने पूर्व माओवादियों के बीच एकता संबंधी माओवादी प्रस्ताव पर व्यंग्य करते हुए पार्टी माओवादी अध्यक्ष प्रचण्ड से प्रश्न किया है– ‘सभी पूर्व माओवादी क्यों एक जगह इकठ्ठा हो जाए ? फेरि जनयुद्ध करने के लिए ? या भोज के लिए ?’ या फिर एक बार प्रचण्ड को सत्तारोहण करवाने के लिए ?’ उन्होंने प्रश्न किया है कि इसका कोई भी राजनीतिक और वैचारिक औचित्य नहीं है ।
डा. भट्टराई का मानना है कि प्रचण्ड की नेतृत्व में भ्रष्टाचार विरुद्ध और सुशासन के लिए आन्दोलन करना जनता को मजाक बनाना है, जनता की भावनाओं को अवमूल्यन करना है । उन्होंने आगे कहा है– ‘यह तो हिन्दी÷ऊर्दू तुक्का की तरह हो गया, सौ चुहा खा के बिल्ली हज करने चली गई ।’ डा. भट्टराई का आरोप है कि जनयुद्धकाल से ही प्रचण्ड वर्ग उत्थान के लिए क्रियाशील रहे और शान्ति प्रक्रिया के बाद प्रचण्ड निकट कई व्यक्तियों को वर्ग उत्थान हो गया है ।
अध्यक्ष भट्टराई ने कहा है कि विश्व एक्वीसवीं सदी में है, चौथी औद्योगिक क्रान्ति में है, लेकिन नेपाल प्रथम औद्योगिक क्रान्ति की चरण में संघर्ष कर रहा है । उनका मानना है कि ऐसी परिस्थिति में परम्परागत माओवादी विचारधारा से काम चलनेवाला नहीं है ।