धनतेरस 29 अक्टूबर एवं दीपावली 31 अक्टूबर पर शुभ मुहूर्त में करें पूजा : डा. पुरुषोतम दुबे
विश्व ज्योतिष महासंघ के एशिया उपसभापति ज्योतिष सम्राट डा. पुरुषोतम दुबे के अनुसार नेपाल एवं भारत मे 29 अक्टूबर 2024 मंगलवार को धनतेरस मनाया जारहा है। मान्यता है कि इस दिन भगवान धन्वंतरि, मां लक्ष्मी और भगवान कुबेर की उपासना करने से जातक को जीवन में कभी भी आर्थिक कमी का सामना नहीं करना पड़ता है।
त्रयोदशी तिथि पर धनतेरस मनाया जाता है। छोटी दिवाली से एक दिन पहले धनतेरस के पर्व को मनाया जाता है। सनातन शास्त्रों में धनतेरस का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दिन भगवान धन्वंतरि, मां लक्ष्मी और भगवान कुबेर की उपासना करने से जातक को जीवन में कभी भी आर्थिक कमी का सामना नहीं करना पड़ता है। पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 29 अक्टूबर मंगलवार को दिन के 11:09 बजे के बाद होगी। इसका समापन 30 अक्टूबर को दोपहर 01:13 बजे पर होगा। सनातन धर्म में सूर्योदय से तिथि की गणना की जाती है। त्रयोदशी पूजा प्रदोष काल में होती है, ऐसे में 29 अक्टूबर को धनतेरस मनाया जाएगा।
धनतेरस के दिन सोने या चांदी, लक्ष्मी-गणेश की प्रतिमा, बर्तन, झाड़ू, सूखा धनिया समेत आदि शुभ चीजें खरीदें। धार्मिक मान्यता है कि इन चीजों को घर लाने से जातक पर भगवान धन्वन्तरि और मां लक्ष्मी की कृपा सदैव बनी रहती है। धनतेरस का पूजन शाम को किया जाता है. 29 अक्टूबर को शाम में 6 बजकर 31 मिनट से लेकर रात 8 बजकर 31 मिनट तक पूजन किया जा सकता है. यानी धनतेरस पूजन के लिए 1 घंटा 42 मिनट का मुहूर्त मिलेगा. वैसे ही इस साल छोटी दिवाली और लक्ष्मी पूजा एक ही दिन यानी 31 अक्टूबर 2024 को मनाई जाएगी। लक्ष्मी पूजा का मुहूर्त गोधूलि शाम 5:36 बजे से शाम 6:16 बजे तक तथा सायं 6/32 से 8/12तक एवं रात्रि 12/20 से 2/05 तक शुभ रहेगा। अमावस्या तिथि 31 अक्टूबर को दोपहर 3:52 बजे शुरू होगी और 1 नवंबर को शाम 5:13 बजे समाप्त होगी।
एक नवंबर को सूर्यास्त सायं 5:32 बजे हो रहा। अमावस्या सूर्यास्त से पूर्व 5:13 बजे खत्म हो रही है। एक नवंबर को ही सायं 5:13 बजे के बाद प्रतिपदा लग जा रही है। एक नवंबर को प्रदोष काल व निशीथकाल दोनों में कार्तिक अमावस्या न मिलने से 31 अक्टूबर को दीपावली मनाना शास्त्र सम्मत है।