108 छठव्रतियों को छठ पूजन सामग्री “माँ अन्नपूर्णा सेवा समिति” द्वारा वितरण
जनकपुरधाम/मिश्री लाल मधुकर । बिहार में चार दिनों तक चलने वाला लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा का मंगलवार से नहाय-खाय के साथ शुरू हो गया है। चार दिन तक चलने वाले इस पर्व की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं। वहीं, छठ पूजा को ध्यान में रखते हुए माँ अन्नपूर्णा महिला मंच और माँ अन्नपूर्णा कम्युनिटी किचन के संयुक्त तत्वाधान में छठ व्रतियों के बीच पूजा सामग्री और कपड़े वितरित किए है। लगातार दो दिन में लगभग 108 छठ व्रतियों में सामग्रियां वितरित की गई। इन सामग्री में सूती साड़ी,सुप,कोनिया,नारियल,टाम नेम्बू, गुड़,चीनी,आटा,मैदा,अगरबत्ती,माचिस, अरगौती का सामान,खीर मसाला सब था।
जयनगर क्षेत्र में पिछले चार सालों से लगातार हर साल माँ अन्नपूर्णा सेवा समिति के तत्वाधान में छठ का मौके पर व्रतियों के बीच फल व अन्य पूजा सामग्री का वितरण होता है।
इन सभी सामानो का वितरण दाताओं के सहयोग हुआ है, जिनमें मनीष कुमार,पिंचू सरदार,अनिल बरोलिया, पीयूष सिंघानिया,आशुतोष नायक, सुधांशु गुप्ता,मनीष मंडल,गुड्डू जी, संजय गुप्ता,अमित झा,रमेश चौधरी एवं अन्य भी हैं।
इस मौके पर छठ पूजा सामग्री वितरण होने के बाद छठ व्रतियों ने संस्था और दाताओं का आभार व्यक्त किया।
इस मौके पर मुख्य पार्षद कैलाश पासवान,नारायण यादव,डॉ. मुकेश महासेठ,जदयू प्रखंड अध्यक्ष राजकुमार सिंह,भाकपा-माले के प्रखंड सचिव भूषण सिंह,न्यू प्रोडजी स्कूल के डायरेक्टर आनंद कुमार के अलावा अन्य कई बुद्धिजीवी एवं गणमान्य लोग मौजूद रहे।
वहीं माँ अन्नपूर्णा कम्युनिटी किचन के संरक्षक डॉ. सुनील कुमार राउत,प्रवीर महासेठ,उपेंद्र नायक,राकेश मांझी,परमानन्द ठाकुर एवं सदस्यों में प्रथम कुमार,पप्पू पुर्वे,संतोष शर्मा,सुमित पंजीयार,अविनाश पंजीयार,हर्ष कुमार,सुमित कुमार राउत एवं अन्य कई सदस्य मौजूद रहे।
वहीं, माँ अन्नपूर्णा महिला मंच की कामिनी साह,सविता देवी,सुनीता काँस्यकार,सरिता काँस्यकार समेत अन्य कई सदस्या भी मौजूद रहीं।
इस मौके पर मुख्य पार्षद कैलाश पासवान ने बताया कि छठ पूजा को लेकर पूरे बिहार ही नहीं देश भर में हर्ष का माहौल है। छठ पूजा की महत्ता से हम सब वाकिफ हैं। आज यह पर्व पूरे विश्व में पहुंच गया है। लगातार चार सालों से इस छठ पूजा पर छठ पूजा की लगभग सभी सामग्री का वितरण कर संस्था नेक और पुनीत कार्यकर रही है।
वहीँ, मौके पर मौजूद सभी वक्ताओं ने एक सुर में कहा कि संस्था माँ अन्नपूर्णा लगातार समाजसेवा में अग्रणी रही है और हर कार्य को बढ़-चढ़ कर करती रही है। इसी कड़ी में आज भी ये छठ पूजा सामग्री वितरण किया जा रहा है, जिससे सिख कर अन्य कई लोग और सस्थाएं इस तरह का कार्य कर रहीं है, जो जयनगर के लिए मिसाल है।
मौके पर संस्था के सभी संरक्षकों ने एक सुर में कहा कि ऐसे में कुछ ऐसे परिवार जो लोक आस्था का महापर्व छठ की पूजा करना चाहते हैं, और छठ के प्रति असीम श्रद्धा रखते हैं। परंतु, आर्थिक दुर्बलता के कारण पूजा से वंचित रह जाते हैं और मन मसोसकर रह जाते हैं। वैसे 108 परिवार छठ व्रतियों के बीच सामग्री का वितरण किया गया।
वहीं, समिति के मुख्य संयोजक अमित कुमार राउत ने बताया कि चार दिनों तक चलनेवाले लोक आस्था के इस त्योहार में समाज के हर तबके की श्रद्धा और आस्था है, वह चाहे आमिर हो या गरीब। उन्होंने कहा कि यही एक ऐसा अनुष्ठान है, जिसमें समाज के हर वर्ग के लोग एक साथ समान रूप से जलाशय किनारे बैठकर भगवान भास्कर की अराधना करते हैं। इस महापर्व की खासियत यह है कि भगवान और भक्त दोनों आमने-सामने होते हैं। अतः हम समाज के वैसे लोग जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं और छठ महापर्व का अनुष्ठान कर रहे हैं उनकी एक छोटी सी मदद सूप और पूजन-हवन सामग्री देकर करने की कोशिश की है। इस वर्ष कुल 108 छठ पूजा सामग्री का वितरण सभी के सहयोग से किया गया। कहा की छठव्रतियों को चिन्हित कर छठ पूजा सामग्री बांटा गया, ताकि सही छठव्रती को छठ पूजा सामग्री मिल सके। छठ पूजा सामग्री पाने पर सभी के चेहरे पर एक संतोष और ख़ुशी दिख रही थी।
मौके पर माँ अन्नपूर्णा सेवा समिति के कोर्डिनेटर सुमित कुमार राउत ने सभी लोगों से अपील किया कि आप भी इस प्रकार के शुभ कार्यों में यथासंभव सहयोग करें, ताकि उनके घरों में भी छठ के आस्था व श्रद्धा का धारा रहे और उन्हें भी खुशियां मिले।
उल्लेखनीय है कि कार्तिक महीने में मनाये जाने वाला लोक आस्था का महापर्व छठ का हिंदू धर्म में एक विशेष और अलग स्थान है। भगवान भास्कर के इस अनुष्ठान में शुद्धता व पवित्रता का विशेष महत्व है। प्रकृति के अवयवो में से एक जल स्रोतों के निकट छठ पूजा का आयोजन होता है, जहाँ छठव्रती पानी में खड़े होकर सूर्य देव को अर्घ्य देते है। यह एक ऐसा अनुष्ठान है, जिसमे डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है एवं उनकी अराधना की जाती है। चार दिवसीय इस अनुष्ठान के तीसरे दिन छठव्रती पहले डूबते सूर्य की अराधना करते हैं। उसके बाद अगले दिन प्रातः उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही इस महापर्व का समापन होता है।