हे धरती मां,मैं करूं तेरी अराधना, धरा हो स्वर्ग, कामना पूरी करना : शिशुपाल कुमार सिंह
पर्यावरण
यहाँ हरियाली है, वहाँ जल निराला,
पर्यावरण है हम सबकी आशा।
वृक्षों की छाया, वनों की क्यारी,
प्रकृति ही अमृत से प्यारी।
हवा में गुलदस्ता, नदियों का किनारा,
इन सबों का आधार पर्यावरण हमारा।
प्रदूषण का शाप, बचाने की आस,
करें वृक्ष-वन, जल संरक्षण आसपास।
समझाएं सभी को, प्रकृति की महत्ता,
बने संरक्षक, हो सभी पर्यावरण कर्ता-धर्ता।
हे धरती मां,मैं करूं तेरी अराधना,
धरा हो स्वर्ग, कामना पूरी करना।
बचाओ पर्यावरण, इसका निर्णय लो स्वयं से,
हर मानव जुड़ जाए प्रकृति से।
आएं सभी मिलकर, बनें धरती की मीत,
इस तरह से निभाएं, धरा से सच्ची प्रीत।