नेपाल में साल्ट ट्रेडिंग की यात्रा : कंचना झा

कंचना झा, हिमालिनी अंक सितम्बर, 024 । यदि आपके सामने छप्पन प्रकार के व्यंजनों को परोस दिया जाए और सभी में नमक न हो तो उस खाने को क्या कहेंगे ? शायद ही किसी को पसंद आ जाए । खाने में नमक न हो तो खाने का स्वाद बेस्वाद हो जाता है । जीवन में नमक अति महत्वपूर्ण है । इसकी कमी से बहुत तरह की बीमारियां शरीर को घेर लेती हैं । स्वस्थ्य शरीर के लिए नमक आवश्यक है और इसे लेकर लोग चेतनशील भी हैं । नमक के लिए हर जगह आंदोलन किए गए हैं । चाहे फिर वो भारत ही क्यों न हो । यहाँ भी नमक आन्दोलन हुआ था भले ही वो देश की आजादी के संदर्भ में रहा हो । नेपाल में नमक के प्रसंग को जोड़ने के लिए एक तलाश करनी होगी । साल्ट ट्रेडिंग जिसकी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका रही है नेपाल के बाजार या अर्थव्यवस्था में । आम नागरिक तक जिसने नमक को पहुँचाया है आज इसकी चर्चा जोर शोर से हैं । सबसे पहले तो साल्ट ट्रेडिंग की स्थापना काल को समझना होगा, उस समय की स्थिति को समझना होगा । तो नेपाल में जब साल्ट ट्रेडिंग की स्थापना हुई उसके पीछे एक कहानी है ।Salt Trading 61 Anyversary C1

नेपाल में साल्ट टे«डिंग ः

ये २०१९ साल की बात है जब तत्कालीन राजा महेन्द्र वीर विक्रम शाह पूर्वाञ्चल के पहाड़ी क्षेत्रों का भ्रमण कर रहे थे । वहाँ की आम जनता से मिल रहे थे । उनकी अवस्था को लेकर उनसे बातें कर रहे थे । राजा महेन्द्र को भी इस बात की भनक नहीं थी कि उनकी जनता को नमक भी खाने को नहीं मिलता है । पूर्वाञ्चल के पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वाली जनता ने जब उनसे कहा कि (नुन खान पाइएन सरकार) नमक नहीं खा पा रहे हैं सरकार ! राजा महेन्द्र के मन में तभी यह ख्याल आया कि हमारी जनता के पास खाने के लिए नमक तक नहीं है । वहाँ से काठमांडू लौटने के बाद वो इस समस्या के समाधान में लगे । लौटने के बाद उन्होंने तत्कालीन समय में नमक के कारोबार में जिनकी भी संलग्नता थी उन सभी से बातचीत की और इसका क्या समाधान हो सकता है ? इस ओर ध्यान दिया । उन्होंने उस वक्त के सभी नमक कारोबारियों को अनिवार्य शेयर होल्डर बनाकर मुख्य–मुख्य नौ व्यापारियों को यह जिम्मेवारी दी कि देशभर में प्रत्येक जनता के घर तक नमक पहुँचे । तत्कालीन वाणिज्य विभाग के निर्देशक गजेन्द्र देव पाठक की अध्यक्षता में २०२० साल भाद्र २७ गते साल्ट ट्रेडिङ कॉर्पोरेशन लि.की स्थापना की गई । इसकी स्थापना के पीछे एक महत्वपूर्ण कारण यह था कि किसी भी तरह से नमक जनता तक पहुँचे ।
तत्कालीन समय में साल्ट ट्रेडिङ का उद्देश्य एक ही था कि हरेक जनता के घर में सहजतापूर्वक नमक पहुँचे । देश के लिए वो बहुत ही कठिन समय था । अपने देश में नमक उत्पादन के लिए स्रोत और साधन नहीं होने के कारण थोड़ा सा भी नमक पा लेना बहुत बड़ी बात कहलाती थी । तत्कालीन समय में नमक के मूल्य में एकरूपता नहीं थी । हर जगह यह उपलब्ध नहीं हो पाता था । गुणस्तरीयता की ही यदि बात की जाए तो वह भी नहीं थी । इसलिए यदि किसी ने नमक पा लिया तो यही बहुत बड़ी बात हो जाया करती थी । कहते हैं कि तत्कालीन समय में जिनकी पहुँच होती थी वो १०–१५ वर्ष के लिए नमक स्टोर कर लेते थे । या कहे कि उस समय चलन ही यही था ।

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आयो नून
२०२० भादव २७ गते नेपाल के इतिहास में बहुत बड़ा दिन माना जाता है जब नेपाल साल्ट ट्रेडिंग की स्थापना हुई । लेकिन धीरे–धीरे जब इसका विस्तार होने लगा तो लोगों में स्वास्थ्य को लेकर जागरुकता आई । आयोडिन युक्त नमक की तलाश होने लगी । अभी तक केवल नमक की बात हो रही थी अब जनता में एक नई लहर थी आयोडिन युक्त नमक खाने की । लेकिन नेपाल की भौगोलिक विकटता, यातायात साधन का अभाव और नमक का स्रोत देश में नहीं होने की अवस्था में नमक का कारोबार करना बहुत ही जटिल था । इस पर से लोगों में कंठरोग देखा जाने लगा । अब इस समस्या से कैसे उबरा जाए ? या इसे नियंत्रण में कैंसे लाया जाए ? इसके लिए एक बहस शुरु होने लगी । बहस से एक बात सामने आई कि कण्ठरोग नियन्त्रण के लिए आयोडिनयुक्त नमक सर्वसाधारण को उपलब्ध कराना एकदम अनिवार्य है । लेकिन यह काम इतना आसान नहीं था । यह बहुत ही जटिल काम था ।
लेकिन बहस का नतीजा यह निकला कि २०३० साल में नेपाल सरकार ने नमक में ही आयोडिन मिलाने की नीति बनाई । उस समय तक नेपाल में आयोडिन की कमी से स्वास्थ्य समस्या बढ़ती जा रही थी । इस समस्या को देखकर ही सरकार ने नमक में ही आयोडिन मिलाने की नीति बनाई थी । २०२३ (सन्१९६५) के सर्वे अनुसार ५५ प्रतिशत जनता आयोडिन की कमी से किसी न किसी रोग से ग्रसित थे । विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ), नेपाल सरकार के सहकार्य में हुए सर्वे में ४ प्रतिशत व्यक्ति सुस्त मनःस्थिति के देखे गए थे ।
उस समय आयोडिनयुक्त नमक की कमी से होने वाले रोग के कारण अवस्था बहुत ही भयावह थी । लगभग ८ प्रतिशत नागरिक देश में श्रम नहीं देने की अवस्था में थे यानी वो इतने बीमार थे कि कोई काम नहीं कर सकते थे । जनस्वास्थ्य के लिए यह एक बहुत बड़ी चुनौती थी । इस चुनौती के समाधान के लिए साल्ट ट्रेडिङ ने भारत के साथ सहकार्य कर लिया और आगे बढ़ने लगा । बहुत मशक्कत के बाद २०३० साल में साल्ट ट्रेडिंग नमक में ही आयोडिन मिलाकर विक्री वितरण करने लगा । तब जाकर धीर–धीरे यह रोग निर्मूलन होना शुरू हुआ । आयोडिन की कमी होने से जो समस्या थी वह अब कम होती जा रही थी । जैसे, गर्भावस्था में आयोडिन की कमी से बच्चा खराब हो जाना, यदि बच्चे ने जन्म लिया भी तो वो अपंग होते थे । महिला में ज्यादा रक्तस्राव होना, महीनावारी अनियमित होने जैसी समस्याओं का समाधान हुआ ।
इसके साथ ही विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा तय किए गए मापदण्ड को नेपाल साल्ट ट्रेडिंग पूरा करने में सफल हुआ और देशभर में आयोडिनयुक्त नमक को पहुँचाने में भी सफल रहा । साल्ट ट्रेडिंग की स्थापना का पहला उद्देश्य जनता तक नमक पहुँचाना था जो २०२० से शुरु हुआ । फिर समय बदला, परिस्थिति बदली तो आयोडिनयुक्त नमक की आवश्यकता हुई तो दूसरा उद्देश्य सामने आया । यह उद्देश्य भी २०३० में पूरा हुआ जब नमक में आयोडिन मिलाया जाने लगा ।
इतना होने के बाद कालाबजारी बढ़ गयी । अब एक और समस्या आई साल्ट ट्रेडिंग के लिए । आयोडिनयुक्त नमक को देशभर के लिए सहज बनाना और हरेक वर्ष होने वाले अभाव एवं कालोबजारी को रोकना । इन सभी कारणों को लेकर साल्ट ट्रेडिंग की स्थापना हुई थी । अब एक सवाल तो मन में आता है कि साल्ट ट्रेडिंग बनने से पहले आखिर क्या होता था ? नमक का व्यापार कैसे किया जाता था ? तो साल्ट ट्रेडिंग के बनने से पहले सरकार ने विभिन्न क्षेत्रों में एक मात्रा तय कर दी थी । जिसके तहत विभिन्न व्यक्ति को नमक आयात की अनुमति दी गई थी ।
अगर अभी के साल्ट ट्रेडिंग की बात करें तो धीरे–धीरे साल्ट ट्रेंडिंग में नमक के अलावे और भी आवश्यक वस्तुओं का कारोबार होने लगा । सेवा विस्तार करने के क्रम में साल्ट ट्रेडिंग ने अन्य अत्यावश्यक वस्तुओं में चीनी, मैदा आटा, सूजी, दाल चावल का भी कारोबार करना शुरु कर दिया । इसके साथ ही साल्ट ट्रेडिंग ने औद्योगिक चीजों में अखबरे कागज का कारोबार, सिमेंट का कारोबार, एलपीजी गैस, इंस्योरेन्स कम्पनी की स्थापना की, गोरखकाली टायर के साथ ही न जाने कितने उद्योगों की स्थापना साल्ट ट्रेडिंग ने किया है ।
नेपाल में रोजगार के अवसर देने में साल्ट ट्रेनिंग की भूमिका भी बहुत महत्वपूर्ण रही है । इसने बहुतों को रोजगार का अवसर दिया । देश के विभिन्न भागो में साल्ट ट्रेडिंग के शाखाओं की स्थापना की गई । और वहाँ रोजगार के भी अवसर बढ़ने लगे ।
लेकिन एक समय ऐसा भी था वो जब यहाँ मैदा मिल नहीं था । तब उस स्थिति में लोग गेहुँ भारत ले जाते थे । वहाँ जाकर गेहूँ बेचते थे और उससे मैदा खरीदकर लाते थे । लेकिन जब मैदा मिल की यहाँ स्थापना हो गई तो गेहूँ लेकर लोग भारत नहीं जाने लगे और नेपालियों को अपने ही देश रोजगार के अवसर प्रदान करने में साल्ट ट्रेडिंग ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई । इसके साथ ही जब कभी प्राकृतिक आपदाएं आ जाती है और लोगों में सामान के लिए त्राहि–त्राहि मचने लगती है तब भी साल्ट ट्रेडिंग अपने पास कम से कम छः महीने तक के लिए सामान स्टॉक करके रखता है ताकि किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं हो ।
२०५२ साल में जब बाढ़ की चपेट में पड़कर काठमांडू आने जाने वाली सभी रास्ते बंद हो गए थे । काठमांडू में सामान का आना जाना बंद हो गया था । उस वक्त भी साल्ट ट्रैडिंग ने नमक का अभाव नहीं होने दिया था । इसी तरह २०६२– ०६३ साल के जनआन्दोलन और १८ दिन तक मधेश आन्दोलन के समय में भी नेपाल के किसी भी भूभाग में नमक की कमी नहीं होने दी । २०७२ साल का भूकम्प तो याद ही होगा । इस समय में भी साल्ट टे«डिंग ने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और कही से किसी तरह की कोई मंदी नहीं होने दी नमक की । इसी तरह कोरोना के समय में जब लोगों का बाहर निकलना बंद हो गया था तब साल्ट ट्रेडिंग ने हरेक मोहल्ले में गाड़ी से सामान घर–घर पहुँचाया था, अपनी सेवा दी थी । ये तो आपातकाल की अवस्था की बात हुई । साल्ट ट्रेडिंग हरेक के पर्व त्योहार के समय में नेपाल सरकार के निर्देशन अनुसार सहुलियत दुकान, सुपथ मूल्य की दूकान सञ्चालन करती आई है । साल्ट ट्रेडिंग ने लोगों के मन में अपने प्रति एक विश्वास बना लिया है ।
लोगों में इस विश्वास को प्राप्त करते रहने के लिए ही साल्ट ट्रेडिंग ने हमेशा अपने ग्राहकों को प्राथमिकता में रखा है । जनता को सहज और सुपथ मूल्य में दैनिक उपभोग्य सामान बिक्री करते हुए साल्ट ट्रेडिंग हरेक वर्ष अपने कर्मचारियों को बोनस देती आई है । साथ ही उत्कृष्ट सेवा प्रदान करने वाले कर्मचारियों को प्रशंसा पत्र देती आई है । समय समय पर अपने कर्मचारियों का ध्यान रख लेना ही बहुत बड़ी बात है । अपने कर्मचारियों का साल्ट ट्रेडिंग हमेशा ख्याल रखती आई है और यही कारण है कि कर्मचारी भी अपनी संस्था के प्रति वफादार है ।

 

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